क्रोध में व्यक्ति स्वयं की जान का है दुश्मन


 


*बंद दुकान में कहीं से घूमता फिरता एक सांप घुस गया।*
*दुकान में रखी एक आरी से टकराकर सांप मामूली सा जख्मी हो गया।*
*घबराहट में सांप ने पलट कर आरी पर पूरी ताक़त से डंक मार दिया जिस कारण उसके मुंह से खून बहना शुरू हो गया।*
*अब की बार सांप ने अपने व्यवहार के अनुसार आरी से लिपट कर उसे जकड़ कर और दम घोंट कर मारने की पूरी कोशिश कर डाली।*
*अब सांप अपने गुस्से की वजह से बुरी तरह घायल हो गया।*
*दूसरे दिन जब दुकानदार ने दुकान खोली तो सांप को आरी से लिपटा मरा हुआ पाया जो किसी और कारण से नहीं केवल अपनी तैश और गुस्से की भेंट चढ़ गया था।*
*कभी कभी गुस्से में क़ुछ लोग दूसरों को हानि पहुंचाने की कोशिश करते हैं उन्हें पता ही नही चलता के वो अपना ही नुकसान कर रहे हैं*
*अब इस कहानी का सार ये है कि अच्छी जिंदगी के लिए कभी कभी हमें, कुछ चीजों को,* 
*कुछ घटिया लोगों को*
 *कुछ घटनाओं को,*
 *कुछ कामों को और*
 *कुछ बातों को इग्नोर करना चाहिए...*


*अपने आपको मानसिक मजबूती के साथ इग्नोर करने का आदी बनाइये...*


*सबसे बड़ी शक्ति सहन शक्ति है...*


*...संयम ऐसी सवारी है जो अपने सवार को गिरने नहीं देती न किसी के कदमों में न किसी की नजरों में*